सूर्यवंशी क्षत्रिय राजाओ का मुख्य ध्येय ‘धर्म – संस्थापना’ हि था | राष्ट्र के अंग अंग मे शक्ति का संचार हुए बिना राष्ट्र का उदय नहीं हो सकता और शक्ति और युक्ति – ये दोनों जहाँ एक होती है वही भगवान का अस्तित्व होता है | इसलिए शक्ति पूजा का प्रचलन हुआ |