तुम भोपाल आए और तुम्हे इश्क न हुआ, ये तो ऐसा है की मोहोब्बत तो हो गयी, पर साला कोई रिस्क न हुआ। तुम आए शहर की आबो-हवा देखने, शाम को मनभावन टेकरी मैं, ढलते सूरज को सेकने।