उन्होंने कहा- क्या आज हम यह बात कह सकते हैं कि किसी बड़े आदमी का बेटा पढ़ाई पूरी करके लौटे, और तुरंत ही कोई देश और धर्म की रक्षा के लिए उन्हें मांगने आ जाए। आ भी जाए तो क्या हम भेज देंगे... शायद नहीं। लेकिन, दशरथ जी ने यह किया। राम और लक्ष्मण भी बिना किसी संकोच के उनके साथ चले गए।
उन्होंने कहा- क्या आज हम यह बात कह सकते हैं कि किसी बड़े आदमी का बेटा पढ़ाई पूरी करके लौटे, और तुरंत ही कोई देश और धर्म की रक्षा के लिए उन्हें मांगने आ जाए। आ भी जाए तो क्या हम भेज देंगे... शायद नहीं। लेकिन, दशरथ जी ने यह किया। राम और लक्ष्मण भी बिना किसी संकोच के उनके साथ चले गए।
उन्होंने कहा- क्या आज हम यह बात कह सकते हैं कि किसी बड़े आदमी का बेटा पढ़ाई पूरी करके लौटे, और तुरंत ही कोई देश और धर्म की रक्षा के लिए उन्हें मांगने आ जाए। आ भी जाए तो क्या हम भेज देंगे... शायद नहीं। लेकिन, दशरथ जी ने यह किया। राम और लक्ष्मण भी बिना किसी संकोच के उनके साथ चले गए।
उन्होंने कहा- क्या आज हम यह बात कह सकते हैं कि किसी बड़े आदमी का बेटा पढ़ाई पूरी करके लौटे, और तुरंत ही कोई देश और धर्म की रक्षा के लिए उन्हें मांगने आ जाए। आ भी जाए तो क्या हम भेज देंगे... शायद नहीं। लेकिन, दशरथ जी ने यह किया। राम और लक्ष्मण भी बिना किसी संकोच के उनके साथ चले गए।उन्होंने कहा- क्या आज हम यह बात कह सकते हैं कि किसी बड़े आदमी का बेटा पढ़ाई पूरी करके लौटे, और तुरंत ही कोई देश और धर्म की रक्षा के लिए उन्हें मांगने आ जाए। आ भी जाए तो क्या हम भेज देंगे... शायद नहीं। लेकिन, दशरथ जी ने यह किया। राम और लक्ष्मण भी बिना किसी संकोच के उनके साथ चले गए।
यह रामायण का संदेश है कि समाज कल्याण और धर्म की रक्षा के लिए जो भी कर सकें वह हमें करना चाहिए। रामायण हमें शिक्षा देती है कि हम लोभ और लालच से दूर रहे। राम हम सबकी आस्था के प्रतीक