फलस्तीन अम्बिया, अहलेबैत, सहाबा, उलेमा और औलिया की सरजमीन है। ये वो सरजमीन है जिसका कुरान व हदीस में जिक्र है। ये वो सरजमीन है जहां नबी-ए-करीम ने रात के एक मुख़्तसर अरसे में सफर किया था इसी सरजमीन पर हमारे नबी ने तमाम अम्बिया व मुरसलीन की नमाज़ की इमामत की थी। यहीं से वो आसमानों में तशरीफ़ ले गए थे।
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ये नबी याकूब की औलाद की सरजमीन है। ये हजरत इब्राहिम अलैहे अस्सलाम और हजरत युसूफ अलैहे अस्सलाम समेत बहुत से नबियों की सरजमीन है। ये अहलेसुन्नत और रिवायतों की सरजमीन है मुहब्बत की सरजमीन है और सलवात की सरजमीन है। ये वो सरजमीन है जिसे सय्यदना उमर फारूक ए आज़म (रज़ियल्लाहु तआला अन्हा) ने फतह किया था। ऐसे में आज हम जिक्र एक ऐसे नबी का कर रहे हैं जो इसी सरजमीं पर आराम फरमा रहे हैं। जी हाँ हम बात कर रहे हैं हजरत यसफ अलैहिस्सलाम की जो की आज
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Nabeel Shaukat Ali, Sanam Marvi
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